Friday, February 4, 2011


¡
 
 मैं...............
 
 
उम्मीदों से भरा मेरा मन
¡आशाएं बिखेरता मेरा तन....
¡ 
¡जगा जाऊं सपनो की किरण
¡लेकर बहारों को अपने संग
¡दिलों में भर कर सबके उमंग
¡खिला दूं आशाओं  की तरंग.............
¡ 
¡उड़ जाऊं लेकर बहारों को साथ
¡थम कर उम्मीदों का हाथ
¡गम मुझे छूने न पाए
¡और गर छू भी जाये तो मुस्कराहट में बदल जाये ...........
¡ 
¡भूल कर सारे  तकलीफें और सारे   गम
¡उद्द चलो तुम भी मेरे संग 
¡चले हम भी सपनों के उस जहाँ में 
¡जहाँ बिखरी हो खुशियाँ आसमान  में
¡ 
¡छू सकूँ कूद कर ऊंचाइयों को
¡भूल जाऊं ग़मों  की गहरायिओं को 
¡भर जाऊं लोगों के दिलों में सिर्फ प्यार
¡एक नहीं .. सौ बार ....बार बार ...बार बार....
 
 
 

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