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मैं...............
उम्मीदों से भरा मेरा मन
¡आशाएं बिखेरता मेरा तन....
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¡जगा जाऊं सपनो की किरण
¡लेकर बहारों को अपने संग
¡दिलों में भर कर सबके उमंग
¡खिला दूं आशाओं की तरंग.............
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¡उड़ जाऊं लेकर बहारों को साथ
¡थम कर उम्मीदों का हाथ
¡गम मुझे छूने न पाए
¡और गर छू भी जाये तो मुस्कराहट में बदल जाये ...........
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¡भूल कर सारे तकलीफें और सारे गम
¡उद्द चलो तुम भी मेरे संग
¡चले हम भी सपनों के उस जहाँ में
¡जहाँ बिखरी हो खुशियाँ आसमान में
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¡छू सकूँ कूद कर ऊंचाइयों को
¡भूल जाऊं ग़मों की गहरायिओं को
¡भर जाऊं लोगों के दिलों में सिर्फ प्यार
¡एक नहीं .. सौ बार ....बार बार ...बार बार....