हारा नहीं जो मुश्किलों से कभी .... छोड़ा नहीं जिसने कभी कोई काम यूँही सीखा है जिसने बस मंजिल को पाना... धुप में पाकर थोड़ी सी छाया जिसने सीखा नहीं बैठ जाना.... आग जिसमें लगन की जलती है कामयाबी भी तो अक्सर उसी को मिलती है
Wednesday, September 21, 2011
Friday, February 4, 2011
¡
मैं...............
उम्मीदों से भरा मेरा मन
¡आशाएं बिखेरता मेरा तन....
¡
¡जगा जाऊं सपनो की किरण
¡लेकर बहारों को अपने संग
¡दिलों में भर कर सबके उमंग
¡खिला दूं आशाओं की तरंग.............
¡
¡उड़ जाऊं लेकर बहारों को साथ
¡थम कर उम्मीदों का हाथ
¡गम मुझे छूने न पाए
¡और गर छू भी जाये तो मुस्कराहट में बदल जाये ...........
¡
¡भूल कर सारे तकलीफें और सारे गम
¡उद्द चलो तुम भी मेरे संग
¡चले हम भी सपनों के उस जहाँ में
¡जहाँ बिखरी हो खुशियाँ आसमान में
¡
¡छू सकूँ कूद कर ऊंचाइयों को
¡भूल जाऊं ग़मों की गहरायिओं को
¡भर जाऊं लोगों के दिलों में सिर्फ प्यार
¡एक नहीं .. सौ बार ....बार बार ...बार बार....
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