कैसा था वो ख्वाब जो इन आँखों में सजा दिया
रोक भी नहीं पाता खुद को दिल जादू ये कैसा चला दिया
दिल के झरोंखे......... से दस्तक दी तूने
और प्यार का एक दीप............. जला दिया
और प्यार का एक दीप............. जला दिया
बेखबर थी मैं तो खुद से भी तूने मुझे मुझ से मिला दिया
प्यार के एहसास ने तेरे मेरा रोम रोम जगा दिया
बरसो तक रहा जो सूना मेरा जहां उसे अपनी खुशबू से महका दिया
इश्क के एहसास से... भी रहा था बेखबर जो दिल
प्यार का सैलाब..... उसमे तूने जगा दिया
बेखबर थी मैं तो खुद से भी तूने मुझे मुझ से मिला दिया
ऐ खुदा नहीं कोई शिकवा तुझसे
माफ़ करना गर कोई हुई हो खता मुझसे
माँगा था किस्मत में मैंने तो बस अक्स तेरा
पर तूने तो खुद को ही मेरा मुकददर बना दिया
बेखबर थी मैं तो खुद से भी तूने मुझे मुझ से मिला दिया
ख़्वाबों में तेरे तो मैं खो गयी
ऐसी दीवानी तेरे इश्क में रम गयी
अब तो आ जाये मौत भी तो ग़म नहीं
जन्नत का सफ़र तो तूने जीते जी करा दिया
बेखबर थी मैं तो खुद से भी तूने मुझे मुझ से मिला दिया
प्यार का सैलाब..... उसमे तूने जगा दिया
बेखबर थी मैं तो खुद से भी तूने मुझे मुझ से मिला दिया
ऐ खुदा नहीं कोई शिकवा तुझसे
माफ़ करना गर कोई हुई हो खता मुझसे
माँगा था किस्मत में मैंने तो बस अक्स तेरा
पर तूने तो खुद को ही मेरा मुकददर बना दिया
बेखबर थी मैं तो खुद से भी तूने मुझे मुझ से मिला दिया
ख़्वाबों में तेरे तो मैं खो गयी
ऐसी दीवानी तेरे इश्क में रम गयी
अब तो आ जाये मौत भी तो ग़म नहीं
जन्नत का सफ़र तो तूने जीते जी करा दिया
बेखबर थी मैं तो खुद से भी तूने मुझे मुझ से मिला दिया
नीलम.....